पता नहीं क्यूँ !!

Image result for ghoda gadi in uttrakhandबहुत साल बाद घोड़े-तांगे पर बैठा, ताऊ ने नज़र मिलते ही तांगा रोक लिया। शायद शाम को भाड़ा करके आराम से लौट रहा था। अनाज के दाने बोरियो में से बिखर कर इधर-उधर बिखरे हुए थे, लगता है ताऊ अनाज मंडी में काम करता है। खैर, मुझे क्या मतलब मै तो बहुत दिनों बाद बैठा था, तो पहला ख्याल तो ये आया कि सेल्फी ले लेता हूँ। फेसबुक पर डालूंगा तो दोस्तों में कूल लगेगा।
अभी थोड़ी दूर चले ही थे, कि कुछ अजीब सा लगने लगा, बचपन वाला मज़ा तो नहीं आ रहा था। पहले तो टाँगे को देखते ही चलते हुए ही पर फदक-कर साला momentum conserve करा देते थे। ताऊ का behaviour भी बदला सा लग रहा था, पहले तो ताऊ देखकर ही तांगा भगा लेता था।
कमर में दर्द सा होने लगा था। चारकोल वाली होने पर भी, पता नहीं क्यूँ, अब तो तांगा कुछ ज्यादा ही ऊंचे-नीचे हो रहा था। पहले तो है ईट के घड़ोंचे पर भी आराम से चलता था। पता नहीं क्यूँ अब तो तांगे में बहुत ही ज्यादा Smell रही थी, ऊपर से घोड़े चलते-चलते सड़क पर ही गोबर कर दिया और मन कच्चा हो गया। इतना भी पता ऐसे तो "Swachh Bharat Abhiyan " की मट्टी-पलीत हो जाएगी। अब तो ताऊ के shawl में से भी अजीब सी गंध आ रही थी। पहले तो ठंड लगने पर उसी मे ही छुप जाते थे। पूरे रास्ते दोनों पाओ पे उखड़ू ही बैठा रहा, पालथी मारने की हिम्मत नहीं थी, अभी-अभी तो Lee का jeans खरीदा है , फालतू मे गन्दा हो जाता तो।
अरे शिट यार, इतना uncomfortable होने बाद से Selfie लेना तो भूल ही गया !!

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